एक शिक्षक से बैंक पीओ के बाद किया यूपीएससी तक का सफर
नई दिल्ली। जहां आज यूपीएससी को एक बार क्लियर करने के लिए लोग दिन रात एक कर देते है फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिलती। लेकिन जब कोई इस परीक्षा को तीन तीन बार क्लियर करें तो आप क्या कहेंगे। जी हां आज हम बात कर रहें है पूनम दलाल की जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा तीन बार क्लियर की। पूनम दलाल हरियाणा के एक झज्जर गांव के मध्य वर्ग के परिवार से संबंध रखती हैं। जबकि उनका जन्म दिल्ली में हुआ। यहीं से उन्होंने १२ कक्षा पास करने के बाद एक प्राथमिक विद्यालय स्कूल में पढाने का कार्य किया। जॉब के कारण रेगुलर कॉलेज संभव नहीं था जिसके बाद उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन दिल्ली विश्वविद्यालय से ही बाहरी छात्र के रूप में पूर्ण की। जिसके बाद वे स्नातक स्तर की प्रतियोगिता परीक्षा देने में सक्षम हुई। इसी को ध्यान में रखते हुए तथा अपनी इच्छाओं को बढ़ाते हुए उन्होंने बैंक पीओ, एसएससी ग्रेजुएट लेवल आदि की कई परीक्षाएं दी। जिसके बाद उन्होंने एसबीआई पीओ की नौकरी के लिए चयन हुआ। यहां उन्होंने तीन साल तक जॉब की। लेकिन इस नौकरी से भी उन्हें संतोष नहीं था दिल में कुछ बड़ा करने की तमन्ना उन्हें यूपीएससी के दरवाजे पर लेकर गई। इसमें उनका साथ दिया उनके पति असीम दहिया ने। जो कि खुद केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग में कार्यरत थे। शादी के बाद पूनम ने अपनी पढ़ाई व जॉब सूचारू रूप से जारी रखी। जिसके बाद उन्होंने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा २८ साल की उम्र में दी। जिसमें उनकी रैंक कम आई जिसके कारण उन्हें रेलवेज में आरपीएफ डिवीजन दिया गया लेकिन दिल में कुछ बेहतर करने के जज्बे को लेकर उन्होंने एक बार फिर से यूपीएससी की परीक्षा देने का निर्णय लिया। लेकिन अगली बार भी उन्हें लगभग वहीं रैंक आई लेकिन इस दौरान उन्होंने हरियाणा की पीएससी परीक्षा क्लियर कर ली थी जिसे देखते हुए उन्होंने यूपीएससी की जगह हरियाणा पुलिस में डीएसपी के पद का चयन किया। इसके बाद पूनम दलाल की यूपीएससी के लिए उम्र सीमा समाप्त हो गई ओर इसी के साथ उन्होंने यूपीएससी की अपनी मंजिल की समाप्ति समझी लेकिन भाग्य को कुछ ओर ही मंजूर था। २०१५ में भारत सरकार ने २०११ में परीक्षा का तरीका बदलने की वजह से असफल हुई सभी छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का अवसर प्रदान किया। इसी कारण पूनम दहिया को यूपीएससी के लिए एक ओर मौका मिला जिसे वे किसी भी हालत में जायर नहीं करना चाहती थी। इस दौरान डीएसपी होते हुए पूनम दहिया को २४ घंटे ड्यूटी करनी होती थी साथ ही साथ यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा के दौरान व ९ महीने की गर्भवती थी। जबकि यूपीएससी की मुख्य परीक्षा देने गई तो उस वक्त उनकी संतान केवल ३ महीने की थी। इस सब परिस्थितियों के बसवजूद पूनम ने यूपीएससी की परीक्षा देने का निर्णय लिया ओर सफलता भी प्राप्त की।
जोश ओर जुनून की इस से बेहतर मिसाल ओर क्या हो सकती हैं।