अटवाल/अट्टवाल/अठवाल जाट गोत्र
समुद्रगुप्त के स्तंभ शिलालेख जो इलाहाबाद से प्राप्त हुआ है उसमें आष्टीका के नाम से अटवाल गोत्र का उल्लेख किया गया है।
इसके अतिरिक्त महाभारत के सभा पर्व वायु पुराण और मारकंडेय पुराण में इसका उल्लेख मिलता है।
महाभारत में एक जाति का उल्लेख मिलता है जिसे आताविक/ अटावल कहा गया है ।
महाभारत पुस्तक 8 के अध्याय 30 में इस जनजाति का उल्लेख मिलता है। महाभारत के उल्लेखों अनुसार अटवाल गोत्र के जाटों को अतविश्वर शब्द से भी संबोधित किया गया है।
महाभारत के अनुसार युधिष्ठिर की ताजपोशी के समय उठावला अथवा अटवाल महाराज उन्हीं के दरबार में उपस्थित थे और उनकी उपस्थिति में यह ताजपोशी हुई थी ऐसा महाभारत में लिखा हुआ है इसके अनुसार अटवाल अथवा अतविश्वर जनजाति का विस्तार मध्य विंध्य क्षेत्र में था मध्य विंध्य क्षेत्र से तात्पर्य पंजाब क्षेत्र से है।
अतः महाभारत के उल्लेख उसे हमें इस बात की अस्पष्टता हो जाती है कि अटवाल जाट गोत्र जिसे महाभारत काल में अतविश्वर नाम से संबोधित किया जाता था वह महाभारत काल में मध्य विंध्य क्षेत्र जिसे आज हम पंजाब नाम से संबोधित करते हैं में बसा हुआ था।
इतिहास में कई ऐसे प्रमाण प्राप्त होते हैं जिससे यह सिद्ध हो जाता है कि इस अटवाल /अठवाल अथवा अतविश्वर जनजाति का मुख्य कार्य ऊंट पालन का था इस कारण इस जनजाति को ऊंट पालने वाला के नाम से भी जाना जाता था इस कारण भी इनका नाम अर्थात इन जनजाति का नाम उठवाल दिया गया होगा, जो पंजाब के अंबाला, लुधियाना, जालंधर, और पटियाला जिलों में रहते थे।
जिनमें से कुछ सियालकोट,मुल्तान,झांग, मोंटगोमरी, मुजफ्फरनगर और बहावलपुर में बसे परंतु भारत-पाकिस्तान के विभाजन के पश्चात यह क्षेत्र पाकिस्तान में चला गया।
समय के साथ-साथ इस जाट गोत्र का प्रवास तथा उत्प्रवास हुआ अतः इस कारण यह विश्व के कई स्थानों में बसे हैं यूएसए, यूके, कनाडा, जर्मनी इत्यादि कई देशों में इस अटवाल, अठवाल जाट गोत्र का हम विस्तार देख सकते हैं।
यह गौर करने वाली बात है कि अलग-अलग देशों, प्रांतों में रहने वाले अटवुल,अटवाल, अटवाल्लर सब एक ही अटवाल गोत्र के ही वंशज है। जो प्राचीन काल अर्थात महाभारत काल में अतविश्वर नाम से संबोधित किया जाता था।
इस अटवाल जाट गोत्र का विस्तार देखें तो भारत के विभिन्न प्रांतों राज्यो व जिलों में देखा जा सकता है।
१. पंजाब के होशियारपुर में इनके 23 गांव बसे हैं।
२. जालंधर मैं करीबन 90 गांव इस अठवाल जाट गोत्र के हैं जहां पर इनकी जनसंख्या कुल 6300 के करीब है।
३. अमृतसर जिला में अटवाल जाट गोत्र के करीबन 40 गांव बसे हुए हैं।
४. कुपर थाना में 7 गांव
५. पटियाला में 35 गांव
६. गुरदासपुर में 5 गांव
७. अमृतसर में 4 गांव
८. लुधियाना में 1 गांव
१०. कर्नाटका में एक गांव है जिनका जिसका नाम वित्तेर है।
११. राजस्थान के तहसील चंदौली में इस गोत्र के लोग बसे हुए हैं।
१२. राजस्थान के कोटा में अटवाल जाट गोत्र के काफी परिवार बसे हुए हैं।
१३. बंगाल के आसनसोल में गोठवालनगर है जिसमें इस जाट गोत्र के परिवार बसे हुए हैं।
१४. राजस्थान के चूरू में
१५. राजस्थान के अलवर जिले में
१६. राजस्थान के उदयपुर के झाड़ोल गांव
१७. इसके अलावा पाकिस्तान के कई ऐसे क्षेत्र में है जहां पर इस जाट गोत्र के परिवार बसे हुए हैं जैसे कि फैसलाबाद, साहिवाल तथा टोबा टेक सिंह जिले में पाया जाता है।
अटवाल जाट गोत्र में कई ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्तित्व है जिनका विभिन्न क्षेत्रों में हमें प्रतिभा देखने को मिलता है जिसमें से कुछ इस प्रकार सूची के रूप में हैं——–
१. जसपाल अटवाल—-यह कनाडा में एक सफल व्यापारी है।
२. करण अटवाल—यह फुटबॉल जगत के एक सफल खिलाड़ी हैं।
३. हरजीत सिंह अटवाल—–यूके में रहते हैं तथा हिंदी तथा अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक हैं।
४. गुरविंदर सिंह अटवाल—–यह एक सफल राजनेता है।
५. अर्जुन अटवाल—–यह गोल्फर पर है।
६. एस अवतार सिंह अटवाल—-यह पंजाब में डीआईजी पद पर आसीन है।
७. डॉक्टर दिलबाग सिंह अटवाल—–इन्हें फादर ऑफ रि वॉव्हीट रिल्यूशन कहा जाता है यह एग्रीकल्चर साइंटिस्ट है।
८. डॉ प्रिया अटवाल—-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक इतिहासकार है।
१०. अमृता अटवाल—–यह पंजाब में आई ए एस पद पर आसीन रह चुकी है।
११. सरदार हरबंस सिंह अटवाल—–यह हिमाचल प्रदेश की आईएएस रह चुकी है।
१२. सतवंत कौर अटवाल—-यह बीएसएफ में आईपीएस है। १३. एस कुलतारण सिंह अटवाल—–यह ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट के भूतपूर्व प्रेसिडेंट हैं।
१४. इफरैन सिंह अटवाल—-यह वर्ल्ड आई केयर एसोसिएशन यूएसए में प्रेसिडेंट है।
१५. एस चरणजीत सिंह अटवाल —-ये कॉमनवेल्थ कमेटी ऑफ एशिया के वाइस प्रेसिडेंट है।