जाटों में एकजुटता जरुरी
हिसार – लगभग एक दशक से भी अधिक समय से हरियाणा का जाट समुदाय आरक्षण की मांग को लेकर संघर्ष कर रहा है। इस दौरान प्रदेशभर में धरने प्रदर्शन हुए और जमकर प्रशासन और सरकार से टकराव भी हुआ। कई बार हालात बेकाबू होते हुए भी दिखे, जिसमें पुलिस ने लाठियां भांजने और गोलियां चलाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। आज आलम यह है कि अब तक 30 से ज्यादा नौजवान इस आरक्षण आंदोलन में अपनी जान गवां चुके हैं। फरवरी 2016 का मंजर शायद हरियाणा का अब तक का एकमात्र ऐसा संघर्ष था जिसने पूरे प्रदेश की नीवं को हिला दिया था और काफी संख्या में नौजवानों को अपनी जान गवानी पड़ी थी। हालांकि पिछली हुड्डा सरकार ने जाट समुदाय को आरक्षण दे दिया था लेकिन न्यायालय में रोक लगने के बाद इसे कैंसिल करना पड़ा था। अब सैकड़ों की संख्या में युवा जेलों में बंद हैं और उनमें से काफी को सजा भी सुनाई जा चुकी है। एक बार फिर लंबे अंतराल के बाद जाट समाज ही नहीं बल्कि 36 बिरादरी के लोगों ने हिसार जिले के सबसे बड़े गांव सिसाय में एक महापंचायत कर पुनः अंगड़ाई ली है और जेलों में बंद युवाओं की रिहाई के लिए कठोर कदम उठाने का एलान कर दिया है। आज की महापंचायत में सर्वसम्मति से सिसाय गांव के सरपंच सतबीर सिहाग के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया गया है जो 15 जुलाई तक मुख्यमंत्री मनोहर लाल से समय लेकर उनसे अपनी मांगों को रखेगी और अगर इस दौरान सरकार ने सुनवाई नहीं की तो यह कमेटी कठोर निर्णय लेने के लिए अधिकृत रहेगी। महापंचायत में मौजूद जनसमूह को संबोधित करते हुए गुरूग्राम से आई समाज सेविका और विख्यात महिला उद्यमी डॉक्टर संगीता दहिया ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनका समाज सिर्फ अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहा था लेकिन सरकार ने बेकसूर लोगों को जेलों में बंद कर दिया है जिनमें से काफी को सजा भी सुनाई जा चुकी है। डॉक्टर संगीता दहिया ने आक्रोशित स्वर में कहा कि जब सरकारें विभिन्न समुदायों द्वारा किए गए आंदोलन के समय दर्ज मुकदमों को वापस ले सकती है तो आखिर जाट समाज का कसूर क्या है ? डॉक्टर दहिया ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि समाज के बेकसूर जेलों में बंद युवाओं को जल्द से जल्द रिहा किया जाए वरना प्रदेशभर का युवा चुप नहीं बैठेगा। डॉक्टर संगीता दहिया ने कहा कि आज के समय पिछली बातों पर मिट्टी डालकर आगे के निर्णय पर विचार करने की सख्त आवश्यकता है। जेलों में बंद बच्चों के बारे में बताते हुए डॉक्टर संगीता दहिया ने कहा कि आज के समय 2000 बच्चों पर मुकदमे चल रहे हैं जो अकेले जाट समाज के ही नहीं बल्कि 36 बिरादरी के हैं जिनमें से 600 से ज्यादा बच्चों को या तो सजा हो चुकी है या फिर होने वाली है। संगीता दहिया ने कहा कि चुनाव के समय में सरकारें भाईचारा खराब करने की कोशिश करती है और जो नेता जीत जाते हैं वो बाद में विवादित बयान देकर जातियों के नाम पर जहर घोलने की कोशिश करते हैं। संगीता दहिया ने कहा कि जब जम्मू- कश्मीर, राजस्थान, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में विभिन्न आंदोलनों के समय दर्ज मुकदमें सरकारों द्वारा वापस लिए जा सकते हैं तो जाट समाज के बच्चों पर दर्ज मुकदमों को क्यों वापस नहीं लिया जा सकता !
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