भाकर परिवार रोहतक का परिचय
जाट जागरण। रोहतक में भाकर परिवार मुख्य रूप से रोहतक शहर के डेहरी मोहल्ला में निवास करते है। जब हमने इन लोगों के रोहतक में बसने के बारे में पता करा तो जानकारी मिली की आज से लगभग 300-325 साल पहले भाकर परिवार के ही दो भाई हरियाणा के नारनौल से एक नए जगह की तलाश में निकल पड़े। एक भाई हिसार के कूलेरी गांव में जाकर बस गया जबकि दूसरा भाई रोहतक के डेहरी मोहल्ला में जाकर बस गया।
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रोहतक में रहने वाले भाकर परिवार को बागवाले परिवार के नाम से भी जाना जाता है। इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है जिसके अनुसार आज से लगभग 150-200 साल पहले भाकर परिवार के ही एक बुजुर्ग ने रोहतक के जींद बाईपास के आस पास ऐरिया में सैंकड़ों एकड़ में फलों के बाग लगाए थे। जिसके कारण लोग उन्हें बागवाले के नाम से जानने लगे। समय बदलने के साथ – साथ इस परिवार के सदस्य को बागवाले परिवार के नाम से पहचान मिली। आज भी रोहतक में उस समय के कुछ बाग मौजूद है। रोहतक में भाकर परिवार की खेती की जमीने जींद बाईपास के आस पास आज भी मोजूद है।
19 वीं सदी के अंत व 20 वीं सदी के प्रारंभ में रोहतक में इस भाकर परिवार का काफी प्रभाव था। आज भी रोहतक में भाकर परिवार के लगभग 100 घर मौजूद है।
भाकर परिवार का देश प्रेम से काफी पुराना संबंध रहा है। जानकारी के अनुसार भाकर परिवार के सूबेदार चौधरी रतन सिंह, ने भारतीय सेना में वर्ल्ड वार एक तथा दो में अपनी सेवाएं दी थी। सरकार ने इनकी बहादुरी और वफादारी देख कर इन्हें जमीने प्रदान की थी जो आज भी पूठी गांव, गोहाना में है।
जबकि उनके छोटे भाई कप्तान महताब सिंह तो वर्ल्ड वार दो में आजाद हिंद फौज में लड़ते हुए सात साल तक बंदी रहे। उनके साथ कई अन्य फौजी भी कैद किए गए थे। कैद के दौरान इन्हें काफी यातनाएं भी दी गई लेकिन इन्होंने विरोधियों के सामने कभी घुटने नहीं टेके। इस परिवार ने हर समय मजबूर लोगों की भी सेवा की है। आजादी के समय सूबेदार रतन सिंह का परिवार एक प्रसिद्ध परिवार के तौर पर जाना जाता है। एक तो उनकी बहादुरी और दूसरी उनकी समाज सेवा व देश सेवा के कारण ये लोग काफी प्रसिद्ध थे। अपनी प्रसिद्धि के बावजूद इन्होंने हमेशा जरूरत पड़ने पर देश व समाज की भरपूर सेवा की। भारत जब आजाद हुआ तो उस समय बंटावारे के कारण लोगों को बहुत दिकतों से गूजरना पड़ा। हर जगह मारकाट हो रही थी लोगों को भेड़ बकरियों की तरह काटा जा रहा था उस दौरान यही परिवार था जो अपने इलाके व अपने लोगों की रक्षा के लिए मोर्चा बना कर डटा रहा। इस परिवार ने केवल अपने लोगों का बचाव नहीं किया बलिक बिना कोई धर्म, जाति देखे सभी की मदद की।
सूबेदार रतन सिंह आजीवन रोहतक के 84 गांव के खाप के 1978 तक अध्यक्ष रहे। जबकि स्वर्गीय श्री अमीर सिंह भारतीय फौज में सूबेदार पद पर रहे। वे 1 अगस्त 1947 को सूबेदार पद से सेना की 16 पंजाब रजीमेंट से सेवानिवृत हुए। उन्होंने भी वर्ल्ड वार दो में भाग लिया था और भारत सरकार की सेवा की थी उनकी सेवा से खुश होकर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें वार मेडल, से सम्मानित किया था।
भाकर परिवार ने हमेशा ही विभिन्न सेवाओं में रह कर देश की सेवा की है वह चाहे आजादी से पहले का समय हो या फिर आजादी के बाद का समय हो। बीएसएफ, सीबीआई, हरियाणा पुलिस, हरियाणा रोडवेज, हरियाणा फायर ब्रिगेड, भारतीय सेना जैसे महत्वपूर्ण विभाग में महत्वपूर्ण पदों पर रहकर समाज को गौरवान्वित किया है।
स्वर्गीय कप्तान रिसाल सिंह ने भारतीय सेना में तो स्वर्गीय बलजीत सिंह बीएसफ से इस्पेक्टर पद से रिटार्यड हुए है। जबकि भाकर परिवार से ही स्वर्गीय जय सिंह हरियाणा फायद ब्रिगेड के चीफ पद से सेवानिवृत हुए है। इसके अलावा स्वर्गीय अजीत सिंह भाकर हरियाणा रोडवेज से फोरमैन के पद से सेवानिवृत हुए है।
भाकर परिवार के सदस्य श्री सज्जन सिंह को आपरेटिव सोसायटी हरियाणा, श्री सुंदर सिंह फायर ब्रिगेड, दलजीत सिंह सीबीआई से रिटार्यड होकर आज भी समाज सेवा जैसे कार्यों में सम्मिलत है। इसके अलावा भाकर परिवार के बहुत से सदस्य आज भी विभिन्न सरकारी महकमों और प्राईवेट व नीजि कार्यों में रहते हुए समाज के विभिन्न कार्यों में सम्मिलत होकर देश व समाज और अपने जाट समाज का नाम गौरवान्वित कर रहे है।
इसी भाकर परिवार के एक और महत्वपूर्ण सदस्य है राजेश भाकर जो आज दिल्ली पुलिस में अपनी सेवाएं दे रहे है। इनके छोटे भाई राकेश कुमार दिल्ली पुलिस में 1990 से कार्यरत है व वर्तमान में एएसआई ASI के पद पर तैनात है। जबकि इनके दूसरे भाई मुकेश कुमार भाकर इंडिया बूलस कम्पनी में एरिया मैनेजर के तौर पर कार्यरत है।
राजेश भाकर भी दिल्ली पुलिस में अपनी सेवाए देते हुए 25 साल पुरे कर चुके है। ये 1995 में सब इस्पेक्टर के तौर पर दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे। उसके बाद इन्होंने विभिन्न थानों में अपने सेवाएं दी। इनकी सेवाओं और कार्यशैली को देखकर कर इन्हें प्रमोशन देकर 2012 में इन्हें इस्पेक्टर बना दिया गया। दिल्ली पुलिस में रहते हुए इन्होंने थाना विजय विहार, महिंद्रा पार्क, रानी बाग, मुखर्जी नगर, स्वरूप नगर, नेताजी सुभाष प्लैस में सहप्रभारी पद पर अपनी सेवाए दी है।
राजेश भाकर ने हमेशा ही अपने कार्य को पूर्ण निष्ठा और कर्मशीलता के साथ पुरा किया है। यही कारण है कि जहां भी इनकी तैनाती हुई लोगों ने इन्हें पूरा मान और सम्मान दिया।
वहीं magyargenerikus.com/. इनके बच्चे राहुल सिंह भाकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर और रितिकराज सिंह भाकर लॉ स्टूडेंट है।