जाटों में एकजुटता जरुरी
नोएडा,सुरेन्द्र सिंह। नन्हें नन्हें हाथों ने जब बैडमिंटन थामा था तो अपने दोस्तो के साथ मौज मस्ती करने के लिए लेकिन कब बैडमिंटन उसे ख्याति की दुनिया में लेकर चला गया पता ही नहीं चला। आज उसकी मेहनत और जुनून के कारण वह किसी पहचान का मोहताज नहीं हैं। जी हां हम बात कर रहें हैं नीर नेहवाल की। किसान परिवार से तालुक रखने वाले नीर नेहवाल का जन्म २००७ में नोएडा के जितेन्द्र चौधरी (जितेश चौधरी) व गीता देवी के घर में हुआ। छोटी सी उम्र से गलियों में बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया लेकिन एक दिन वीरपाल जी ने उन्हें खेलते हुए देखा जिसके बाद नीर की दादी से बात कर नीर की प्रतिभा से अवगत कराया व भरोसा दिलाया कि अगर नीर को सही मार्ग दर्शन मिला तो वह अपने खेल के दम पर बहुत आगे तक जा सकता है। जिसके बाद बैडमिंटन की प्रैक्टिस के लिए नोएडा स्टेडियम में भेजा गया। इनके घर से नोएडा स्टेडियम की दूरी 50 किलोमीटर है जो कि नीर के लिए अकेले तय करना काफी मुश्किल था जिसका जिम्मा संभाला इनकी दादी कमला देवी ने। 50 किलोमीटर रोज नीर को स्टेडियम लेकर जाती ओर प्रैक्टिस कराने के बाद वापस लेकर आती। कहा जा सकता है की नीर की कामयाबी के पीछे सबसे महत्वपूर्ण योगदान नीर की दादी का है। परिवार का योगदान ओर नीर की मेहनत व कोच का मार्ग दर्शन नीर को कामयाबी की सीढिय़ों पर चढाता चला गया। इस बारे में जब नीर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनका सपना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश भारत का नाम रोशन करना है तथा गोल्ड मेडल जीत कर लाना है। इतनी छोटी सी उम्र में खेल व पढाई का तालमेल के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि खेल व पढ़ाई में तालमेल रखना काफी मुश्किल है लेकिन दोस्तो, परिवार आदि के प्रयास से यह आसानी से हो जाता हैं।