लडख़ड़ाते जाट समाज को कैसे करें मजबूत पढिय़े पूरा आर्टिकल
admin
August 16, 2019
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नौजवानों को जेल जाट समाज की राजनीतिक व सामाजिक कमजोरी
इतिहास गवाह है कि जिस समाज ने अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया है राजनीति उसके सामने हमेशा नतमस्तक हुई है लेकिन क्या कारण रहा कि जाटों की संख्या हरियाणा व राजस्थान में बहुतायत में होने के बावजूद भी आज जाट समाज को अपने नौजवानों के कई सालों की कुर्बानी देनी पड़ रही है। यह वह समय है जब ये नौजवान अपने समाज, परिवार व अपने भविष्य का निर्माण करते लेकिन अब उन्हें जेल में अपना समय काटना पड़ रहा है। हरियाणा की सत्ता में हमेशा जाटों का दबदबा रहा है। जाटों ने हरियाणा को कई मुख्यमंत्री दिए है लेकिन फिर भी आंदोलन के समय हुई हानि के लिए जाट भाईयों को दोषी साबित करने से लेकर सजा तक का सामना करना पड़ रहा है जबकि अन्य समाज के लोगों को कई दफा माफ कद दिया जाता है। ये दो उदाहरण साबित करते है कि जाट समाज विकास तो कर रहा है लेकिन राजनीतिक स्तर पर पतन की ओर अपने को धकेल रहा है। यह राजनीतिक पतन की दिशा केवल समाज में एकजुटता की कमी का ही नतीजा हैं। जाट समाज में रोज नए-नए संगठन उभर रहें है यह अच्छी बात है लेकिन संगठन का पैदा होना एक पेड़ के समान होना चाहिए जहां टहनियां तो कितनी ही हो जाए लेकिन जड़ व मुख्य तना केवल एक होना चाहिए जो कि दूर से एक पेड़ के समान दिखाई दे ना कि अलग-अलग टहनियां दिखाई दें। जबकि स्थिति इससे अलग है। समाज की अलग-अलग टहनियां दिखाई देती है शायद यहीं कारण है कि आज जाट समाज में शादी -ब्याह के लिए रिश्ते तलाशने काफी परेशानी का काम है जिसके कारण कई बार मां-बाप तो कई बार बच्चे ही अपने समाज से बाहर शादी कर लेते है। सवाल यह उठता है कि क्या हमारे समाज में अच्छे रिश्ते खत्म हो गए है। इसका जवाब है कि नहीं समाज विकास कर रहा है। समृद्ध हो रहा है लेकिन व्यक्तितौर पर। सामाजिक तौर पर जाट समाज पतन की ओर उन्मुख है। जिसका कारण भाईचारे की कमी हैं। इसका समाधान क्या होगा। अगर इसकी गहराई में जाकर देंखे तो हम पाते है कि जब तक हम एक दूसरे के सुख दुख में शरीक नहीं होते । दूसरा मुख्य कारण है कि चुनावों के समय हम हिन्दुस्तानी व हिन्दू का नारा दिया जाता है जात-पात की जगह विकास का वास्ता दिया जाता है लेकिन चुनाव होते ही सभी लोग अपनी अपनी जातियों में फिर से बंट जाते है जिसके खामियाजा बेचारे भोले जाट भाईयों को अपने नौजवानोंको जेल व अन्य स्थितियों में भुगतना पड़ता हैं। कोई कोई समाज स्वस्थ रूप से अपना विकास कर रहा है तो वह भी देशभक्ति का एक रूप है लेकिन देशभक्ति को आपकी चुप्पी के साथ जोड़कर राजनीतिक फायदा उठाने वालों ने जाट समाज को राजनीतिक रूप से कमजोर किया हैं। अब समाज को समझना होगा कि आपसी एकजुटता ही सामाजिक व राजनीतिक तौर पर आपकी उन्नति को सक्षम करेंगी। नहीं तो आज जाट समाज को सामाजिक तौर पर कमजोर किया जा रहा है जिसके बाद अगला कदम होगा जाट समाज को व्यक्तिक तौर पर कमजोर करना।
जोगेन्द्र मान (संपादक जाट जागरण पत्रिका)
jatjagran2017@gmail.com
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