भारतीय महिला हॉकी टीम की एक अनुभवशाली खिलाड़ी
पर्सनल अचीवमेंट
– सबसे सीनियर व अनुभव खिलाड़ी (एक ओलंपिक गेम, 3 कॉम्रवेल्थ गेम, 3 एशिया गेम, 3 वर्ल्डकप)
– भारतीय महिला हॉकी टीम में 240 मैज खेलने का गौरवपूर्ण अनुभव
– 2014 में डिफेन्डर ऑफ दा ईयर व 2015 में प्लेयर ऑफ दी ईयर महिला हॉकी में
-रियो ओलंपिक में वाईस कैप्टर के तौर पर टीम को लीड किया।
-समय के अनुसार महिला हॉकी टीम में कैप्टन व वाईस कैप्टन के तौर पर टीम को लीड किया।
– बेस्ट स्पोर्टस पर्सन के तौर पर 2009 में जीएम अवार्ड से रेलवे ने सम्मानित किया।
– 2017 व 2018 में अर्जुन अवॉर्ड के लिए नामांकित हुआ नाम।
दीपिका दहिया का जन्म सात फरवरी 1987 में यमुना नगर के एक छोटे से गांव में हुआ था। पिता राम नारायण व मां ज्ञानती देवी के घर हुआ। 2017 में सोनीपत के गांव झरोठ के रहने वाले विक्रम दहिया से उनकी शादी हुई। यमुनानगर में हाई स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही दीपिका ने हॉकी खेलना शुरू किया था। उस समय दीपिका की उम्र 12 साल की थी। दीपिका में मेहनत ओर लगन तो पहले से ही थी जिससे केवल एक दिशा देने की जरूरत थी। दीपिका की इस जरूरत को पूरा किया उनके चचेरे भाई ने भपूेंद्र सिंह ने जो कि खुद एक हॉकी कोच थे। उन्होंने ही सबसे पहले दीपिका के हाथ में हॉकी स्टिक पकड़ाई। यहीं से शुरू हुआ दीपिका का स्कूल गेम से भारतीय हॉकी टीम की सबसे मजबूत खिलाड़ी बनने का सफर।
उनकी मेहनत ओर लगन व सीखने की कुशलता को देखते हुए कुछ समय बाद तेजली खेल स्टेडियम के हॉकी कोच देवेंद्र साहनी ने उन्हें हॉकी में प्रशिक्षण दिया जिससे उनके खेल में काफी निखार आया। इसके बाद दीपिका ने चंडीगढ़ के राजकीय स्कूल में एडमीशन ले लिया, जहां हॉकी की ट्रेनिंग दी जाती थी। तथा दीपिका के लिए प्रतिभा दिखाने के रास्ते खुले। यहीं से दीपिका ने भारतीय हॉकी जूनियर टीम से सीनियर टीम में अपनी जगह बनाई। दीपिका का मानना है कि लोगों को समझना होगा कि लड़कियां भी कुछ करने की काबिलियत रखती है जरूरत है तो केवल उन्हें मौका देने व साथ देने की । लड़कियों को आगे बढऩे के लिए प्रेरित करना होगा। एक महिला का सम्मान पूरा परिवार का सम्मान होता है। तथा लड़की का विकास पूरे परिवार का विकास होता हैं।
विक्रम दहिया (दीपिका दहिया के पति) – दीपिका एक बहुत ही मेहनती खिलाड़ी है । देश को मेडल दिलाने के लिए वह हर समय प्रयासरत रहती है । मुझे गर्व है कि वह मेरी पत्नी है। लेकिन जिस प्रकार से दीपिका ने देश के लिए मेहनत की है सरकार को भी सोचना चाहिए। टीम की सबसे अनुभवी खिलाड़ी होते हुए भी आज तक अर्जुन अवॉर्ड नहीं मिला जबकि उससे जूनियर खिलाड़ी को यह सम्मान मिल चुका है यह बात दिल को थोड़ा सा दुखाती है। लेकिन हमारा काम है कर्म करना। दीपिका इसी प्रकार से देश के लिए खेलती रहेगी।और देश को मेडल दिलाने के लिए हमेशा अपनी पूरी टीम के साथ प्रयासरत रहेगी।
इस बार भी दीपिका दहिया का नाम अर्जुन अवॉॅॅर्ड के लिए केन्द्र सरकार, राज्य सरकार व रेलवे ने नामांकित किया है। इस बार आशा है कि दीपिका दहिया को उचित सम्मान देते हुए भारत सरकार उन्हें इस अवॉर्ड से सम्मानित करेगी। व देश के लिए दीपिका के समर्पण को उचित सम्मान दिया जाएगा।