कुछ दोस्तों के कमैंट्स आए उन्होंने हमारे द्वारा चलाएं जा रहे जाटों के लिए इस जागरूकता की सराहना करते हुए पूछा कि क्या सिख जाट और हिन्दू जाटों में भी फर्क है तो दोस्तों हम आपको बता दें कि जाट जाति वर्तमान समय की सबसे प्रतिष्ठित जातियों में से एक मानी जाती है। जाट क्षत्रिय समुदाय के अभिन्न अंग माने जाते हैं, इनका विस्तार भारत में मुख्यतः पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात आदि भारत के पठार इलाको में है। वैसे सिख जाटों और हिन्दू जाटों में कोई अन्तर नहीं हैं जैसे की हमने आपको पहले भी बताया है कि पहनावे और भाशा का एक मात्र फर्क होता है
जाटों को पंजाब में जट्ट एवं अन्य राज्यों में इन्हें जाट नाम से संबोधित किया जाता है। जाट समाज के लोग आज के आधुनिक युग में अपनी पुरानी परंपराओं से जुड़े हुए हैं, इस जाति की सामाजिक संरचना बेजोड़ है। जाट समाज की गोत्र और खाप व्यवस्था प्राचीन समय की मानी जाती है। अब हम आपको सिख जाट और हिन्दू जाटों के बारे में बताते है
सिख धर्म के अनुयायी जाट समुदाय को जाट सिख या पंजाबी भाषा में जट्ट सिक्ख गुरमुखी कहा जाता है। जाट सिख मुख्यतः भारत के पंजाब, उत्तरी राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और पश्चमी उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। जट्ट सिक्ख (जाट) पाकिस्तान के पूर्वी भागों में भी बहुतायत संख्या में है। पंजाबी सिख दलितों के बाद जाट सिख भारतीय पंजाब की सबसे बड़ी आबादी है। हिन्दू जाट उत्तर भारत और पाकिस्तान में पारंपरिक रूप से किसानों का एक जाति समुदाय हैं। प्राचीन काल से युद्ध कला में निपुण रहे जाट मुख्य रूप से खेती और पशुपालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। जाट अच्छे योद्धा माने जाते थे और इसीलिए भारतीय सेना में इनकी खुद की जाट रेजीमेंट नाम से एक रेजीमेंट है।
सिख जाटों की बात करें तो ब्रिटिश राज काल की जनगणना के अनुसार, अधिकांश सिख जाट, हिंदू धर्म से सिख धर्म में आये हैं। पंजाब क्षेत्र के हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदायों और जाटों और राजपूतों जैसे समुदायों के बीच संबंध कई सदियों से अस्पष्ट रहे हैं। विभिन्न समूह अक्सर अपनी विशिष्टता का दावा करते हुए समान उत्पत्ति का दावा करते हैं। कुछ जाटों ने छोटी संख्या में गुरु नानक की शिक्षाओं का पालन करना शुरू कर दिया और ये खालसा के गठन के बाद सामिल हो गए। उन्होंने 18वीं शताब्दी के बाद से मुगल साम्राज्य के खिलाफ प्रतिरोध के मोर्चे का गठन किया, जाटों ने छठे गुरु, हरगोबिंद की अवधि के दौरान बड़ी संख्या में सिख धर्म में शामिल होना शुरू किया। हिन्दू जाटों में (जाट) ऐसा लचीला नाम है जो उन लोगों के लिए प्रयोग होता है जिनका सिंध की निचली सिंधु घाटी में पशुचारण का आचरण था और जो पारंपरिक रूप से गैर-अभिजात वर्ग है। ग्यारहवीं और सोलहवीं शताब्दियों के बीच, जाट चरवाहे नदी घाटियों के साथ पंजाब में चले गये। कई लोगों ने पश्चिमी पंजाब जैसे क्षेत्रों में खेत जोतना शुरू किया, जहां हाल ही में सकिया लाया गया था। मुगल काल के प्रारंभ में, पंजाब में, (जाट) शब्द किसान का पर्याय बन गया था और ज्यादातर जाट भूमि प्राप्त कर लिये थे और स्थानीय प्रभाव डाल रहे थे।
अगर समाज की बात करे तो इतिहासकार खुशवन्त सिंह, के अनुसार, जाटों ने कभी भी मुसलमान जाटों को स्वीकार नहीं किया। जबकि सिक्ख जाटों को वे जाट मानते हैं हिन्दू जाट अपने पूर्वजों की पूजा करते हैं। जाट प्रारम्भ से एक ईश्वर के उपासक वैदिक सनातन धर्मी रहे हैं। और प्रकृतिवादी रहे हैं। दोनों में एक बात समान जरूर है वैसे तो हर किसी अपने ऊपर गर्व करना चाहिए। जैसे भारतीय होने का गर्व। गर्व करना बुरी बात नहीं। दोनों ही जाटों को अपने धर्म, भाषा,रहन-सहन पहरावे पर गर्व है, स्वाभिमान है यही कारण है कि आपको जाट हर क्षेत्र में सबसे आगे ही मिलेंगे।
जब इंसान का स्वाभिमान इतना सुदृढ़ हो तो उसका कोई शोषण नहीं कर सकता। काश इतना स्वाभिमान दलितों में भी होता तो उनकी सारी समस्याएं ही खत्म हो गई होंती। काश राजनितिज्ञों व वामपंथियों ने दलितों को इतना पीड़ित न बताया होता कि वे अपने गौरवशाली इतिहास को ही भूल गए। हिन्दु जाट यदुवंशी कृष्ण एवं रघुवंशी राम को जाट समुदाय अपना पूर्वज मानता है। जाटों की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न मत हैं परन्तु स्वीकृत के सिधांत अनुसार जाट मूलतः भारतीय है। दोनों ही जाटों की बोली और भाशा में फर्क साफ देखा जा सकता है इनका मूलतः पेशा खेतीवाड़ी और पशुपालन है।