नई दिल्ली। सरकारी नौकरी की सुविधाओं को देखकर हर कोई सरकारी नौकरी प्राप्त करना चाहता है जब बात पुलिस की नौकरी की हो तो फिर बात ही क्या। लेकिन कुछ ही लोग होते है जो समाज सेवा व अपने जुनून को ध्यान में रखते हुए पुलिस महकमे में आना चाहते है ताकि समाजसेवा की अपनी भावना को पूर्ण कर सकें। ऐसा ही एक नाम है दयापाल भडिय़ा का। हरियाणा पुलिस में २ अगरस्त १९८५ को शामिल हुए थे आज अपनी मेहनत व ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठता के बल पर हरियाणा पुलिस में उपनिरीक्षण के पद पर कार्य कर रहें है। हरियाणा के हिसार में गढ़ी गांव में एक छोटे से गांव में ५ जनवरी १९६४ को इनका जन्म हुआ। जिसके बाद अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने समाजसेवा व लोगों की रोजमर्रा की समस्याओं के समाधान के लिए एक ऐसा कार्य करने का मन बनाया जहां वह अपना जीवन यापन ईमानदारी से कर सकें साथ ही साथ आम जन की सेवा का भी पुण्य प्राप्त कर सकें जिसके लिए इन्हें पुलिस की नौकरी सबसे बहतर लगी। एक सवाल के जवाब में इन्होंने बताया कि मैंने काफी विचार किया कि कौन सा कार्य किया जाए ताकि समाजसेवा व अपने परिवार का भरण पोषण ईमानदारी से किया जा सकें । जिसके बाद पुलिस विभाग में जाने का मन बनाया। सच्ची लगन व ईमानदार से मेहनत की जिसके बाद हरियाणा पुलिस में सिलेक्शन हो गया। उन्होंने बताया कि पुलिस की नौकरी ऐसी है जहां आपको हर वर्ग से मिलना होता है। समाज में संतुलन बनाने का कार्य पुलिस ही करती है। गरीबों को न्याय प्राप्त करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है जिसे देखते हुए गरीब लोगों की सहायता व उनको न्याय दिलाने की भावना से प्रोरित होकर मैंने पुलिस में जानके का मन बनाया। आज वह भगवान का शुक्रिया अदा करते है कि भगवान ने उनको समर्थ बनाया ताकि वे समाज सेवा कर सकें।