सोगरवार / शूर जाट गोत्र का इतिहास
जाट के विभिन्न गोत्रों में से सोगरवार अथवा शूर जाट वंश है। इस वंश का विस्तार से इतिहास में अध्ययन करते हैं तो हम पाते हैं कि सोगरवार अथवा शूर जाट वंश का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। समय-समय पर यह वंश अपनी वीरता तथा पराक्रम से भारतीय इतिहास में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बनाए रखा है जिसका गुणगान अर्थात इस वंश के महापुरुषों का गुणगान भारतीय इतिहास अपने आधुनिक काल मध्य काल तथा प्राचीन काल में करती रही है जिसका प्रमाण हमारी पौराणिक कथाओं पुस्तकों तथा इतिहास ओवर प्राचीन घटनाक्रमों से हमें प्राप्त होता है।
हम यहां संक्षिप्त रूप में इसके प्राचीनतम, मध्यतम तथा आधुनिकतम काल में इनके वंशजों तथा मूल से अवगत होने की कोशिश करेंगे। सोगरवार अथवा शूर अथवा शूरसेन जाट वंश जो प्राचीन काल में शूर/शूरसेन क्षत्रिय चंद्रवंशी राजवंश के नाम से महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में उल्लेखित है।
रामायण काल में सुग्रीव वानर जाति का शासक था तथा यह सुग्रीव बहुत ही भीड़ तथा पराक्रमी था जो छत्रिय चंद्रवंशी राजवंश का था इस समय में वानर जाति के क्षत्रियों के तीन छोटे-छोटे राज्य थे किष्किंधा राज्य सुग्रीव और बाली दोनों भाइयों का था जिसके प्रधानमंत्री वीर हनुमान थे दूसरा राज्य वीर हनुमान के पिता पवन कुमार का था तथा तीसरा राज्य हनुमान जी के नाना का था यह राज्य दक्षिण भारत में कृष्णा तथा कावेरी नदियों के मध्य से प्रारंभ होते थे इन राज्यों की राजधानी किष्किंधा थी जिसे आज हम कर्नाटक राज्य कहते हैं यह नाम भी समानांतर रूपांतरित होकर बनी है, जिसका विस्तार कन्याकुमारी तक था
इस समय लंका का नाम सिंह हरदीप था जिसका शासक रावण था और उस समय रावण के पिता का शासन पाताल लोक पर था ।जिसे उस समय पाताल लोक कहा जाता था वह आज के युग में अमेरिका यूएसए है।
समुद्री व्यापार पर रावण का अधिकार स्थापित था।
केकई प्रदेश जिसे आज हम कश्मीर के नाम से जानते हैं इस प्रदेश के शासक माता केकई के पिता महाराजा अश्वपति थे
जनकपुर में राजा जनक तथा छत्तीसगढ़ में महारानी कौशल्या के पिता शासक थे इन बातों से यह प्रगट होता है कि वानर कुल का राज्य रामायण काल में शक्ति संपन्न था।
सुग्रीव का भाई बाली था जिसने रावण को युद्ध में हराकर छह माह तक अपनी कैद में रखा पुन्ह शर्त के साथ उसे रिहा भी कर दिया वानर जाति ने 48000 वर्ष तक शासन किया उस समय वानर जाति की अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बहुत ही प्रभावशाली स्थान था तथा सोगरवार/शूर जाट वंश इसी कुल का है।
नील जैसे सुयोग्य इंजीनियर भी इस काल में इनके राज्य में थे।
यह काल वैदिक वर्ण आश्रम व्यवस्था वाली काल थी।
महाभारत काल के बाद बौद्ध काल में समाज वर्ण आश्रम व्यवस्था से धीरे-धीरे जाति प्रथा व्यवस्था में रूपांतरित हो गई।
अतः वैदिक वर्णा आश्रम व्यवस्था का समापन हो गया इसी समय यह वंश थोड़ा रूपांतरित होकर जाट गोत्र के रूप में आई।
इतिहासकारों का मानना है कि सिनसिनी नाम के क्षेत्र पर इस वंश अर्थात जो समय के साथ सूर्य जाट वंश में रूपांतरित हो गए थे का इस क्षेत्र में शासन था।
यह वंश इतनी शक्तिशाली तथा प्रभावशाली थी कि सारे राष्ट्र का नाम ही सौरसेन हो गया तथा सारे यादव वंश सौरसेनी कहलाने लगे।
अतः इस तरह मध्य भारत के भाषा का नाम ही इस वंशज के नाम पर पर गया।
इस तरह आज यह क्षत्रिय वंशज सोगरवाल/ सूरा /शूर कहलाते हैं।
आधुनिक काल में इस सोगरवाल जाति में एक प्रसिद्ध बलशाली योद्धा था जिसका नाम सुग्रीव के नाम पर सुग्रीव रखा गया। इस स्थान पर एक गण बनाया गया जिसका नाम सुग्रीवगढ़ रखा गया इसी को हम सोगर कहते हैं जो आज रूपांतरित होकर क्रमशः सुग्रीवगढ़ से सुगढ़ और सोगढ़ तथा सोगर हो गया।
मुगल काल में औरंगजेब के शासन काल में इस वंश से एक योद्धा पराक्रमी तथा वीर पुत्र खेमकरन था जो शुगर गोत्र का ही था। यह खेमकरण औरंगजेब की सेना को इतना डरा दिया था कि मुगल काल के सारे राजा इनके पराक्रम से भय खाती थी। यह राजा इतना वीर थे कि कटार से ही एक साथ दो दिशाओं से छूटे हुए शेरों को मार डालते था।
इस तरह हम यह पाते हैं कि सोगरवार अथवा शूर जाट वंश का इतिहास कितना प्राचीन है जो प्राचीन काल से ही भारतीय इतिहास में अपनी विजय तथा पराक्रम का परचम लहरा रही है आज के समय में इसका विस्तार भारतवर्ष में कुछ इस प्रकार है___
उत्तर प्रदेश के जिलों में इसका विस्तार
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१. मथुरा जिला__मगोरा गांव तथा धना तेजा गांव में इस वंश का विस्तार है
२. बिजनौर जिला_अनीशा नंगली तथा सोहरा गांव में इस वंश का विस्तार देखा जा सकता है।
३. आगरा जिला_नगला केहरी गांव, नेहचनी गांव, बसेरीकाजी गांव, नगला झब्बा गांव।
मध्यप्रदेश के जिले में इस वंश का विस्तार
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१. उज्जैन जिला__यहां पर देवली उज्जैन नाम के गांव में इस वंश का विस्तार है
२. ग्वालियर जिला_इस जिले के कई ऐसे गांव है जिसमें इस गोत्र का विस्तार है जैसे सुनारपुरा खालसा गांव,जखरा ग्वालियर, ग्वालियर गांव सहोना गांव।
३. धार जिला_सिलावद गांव तथा बोराली गांव में इस सोगरवार जाट गोत्र वंश का विस्तार है।
४. भोपाल जिला_सेंदारी तथा निवारी गांव।
५. शाजापुर जिला_इस जिले के पनवाड़ी तथा निपानिया खुर्द गांव में इनका विस्तार है।
६. विदिशा जिला_गंभीरिया तथा मंडी बमोरा गांव।
७. सीहोर जिला_अट्रालिया बद्झीरी अष्ट, चैनपुरा सीहोर गांव ।
८. इंदौर जिला_यहां तिगारिया बादशाह गांव में सोगरवार जाट गोत्र के वंशजों का विस्तार है।
राजस्थान के विभिन्न जिलों में शुक्रवार जाट गोत्र का विस्तारw
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१. सवाई माधोपुर जिला_इस जिले के करौली ताराचंद नाम के गांव में इस वंश का विस्तार है।
२. भरतपुर जिला__राजस्थान के भरतपुर जिला में शुगर बार जाट वंश के कुल 115 गांव है।
३. अजमेर जिला_अजमेर के भी कुछ गांव में इस वंश का विस्तार है।
इस तरह हम देखते हैं कि सोगरवाल अथवा सूर्य वंश का इतिहास बहुत ही प्राचीनतम रहा है रामायण महाभारत मुगल काल में इन्होंने अपने पराक्रम से भारतीय इतिहास में अपने पराक्रम तथा वीरता की घटनाएं दर्ज कराई है।
सोगरवार अथवा शूर जाट वंश के कई दिग्गज व्यक्तियों ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर अपने वंश की गरिमा तथा मान को बनाए रखा है।
इस वंश के विभिन्न व्यक्तित्व के बारे में हम चर्चा करेंगे तो हम इस प्रकार चर्चा कर सकते हैं__
१. खेमकरण___यह सोगरिया वंश के एक वीर योद्धा के रूप में जाने जाते हैं।
२. स्वर्गीय निहाल सिंह__या मध्य प्रदेश के कुरवाई राज्य में पूर्व गृह मंत्री थे।
३. किशन सिंह यह एक सामाजिक कार्यकर्ता है तथा इन्हें सरपंच साहब के रूप में भी सम्मान प्राप्त है।
४. ठाकुर देशराज यह इसी वंश के एक महान इतिहासकार रहे जिन्होंने जाट वंश के बारे में अपने इतिहास में लिखा है।
५. मनीराम सिंह सोगरवार__यह राजस्थान भरतपुर के तोहिया के रहने वाले हैं, यह एक सामाजिक कार्यकर्ता है जिन्होंने समाज के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।
५. गोवर्धन सिंह सुगरिया एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे।
६. घनश्याम सिंह सोगरिया यह राजस्थान के भरतपुर में एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे।
७. स्वर्गीय देशराज जो एक इतिहासकार थे इन्होंने जाट इतिहास लिखा जो भरतपुर जनपद में जगी नागौर के रहने वाले थे। यह भरतपुर के प्रेसिडेंट रह चुके थे और इन्होंने जाट वंश के लिए ऐतिहासिक ग्रंथ लिखा इनके पिता का नाम ठाकुर छीतर सिंह था। ये रिवेन्यू मिनिस्टर भी रहे।
८. प्रशांत सिंह सोगरवाल__विधानसभा में यह आशु लिपिक पद पर आसीन थे।
९. ठाकुर पौथीराम सिंह सोगरवाल_ चोहरवती नाम का एक क्षेत्र है वहां के यह सोगरिया वंश के राजा थे।
१०. अचल सिंह_फतेहपुर की रियासत के विषय का जब हम अध्ययन करते हैं तो अचल सिंह का नाम एक वीर तथा पराक्रमी योद्धा के रूप में लिया जाता है।
११. विवेक सिंह__यह शुगर गांव के रहने वाले हैं तथा एन सुई भरतपुर में उपाध्यक्ष के पद पर आसीन है।
१२. लक्ष्मण सिंह__यह जयपुर में रहते हैं तथा बीएसएनएल में डीई पाद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
१३. ठाकुर पंचम सिंह_यह एक जाट सभा के कार्यकारिणी सदस्य हैं तथा ठाकुर हरप्रसाद जी के सुपुत्र हैं।
१४. ब्रजलाल सोगरिया एक सामाजिक कार्यकर्ता थे।
१५. कुमर सिंह सोगरवाल_कारगिल के युद्ध में यह देश के लिए शहीद हो गए तथा उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया यह 7 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध में ऑपरेशन विजय के दौरान शहीद हो गए ये उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे।
१६. छिट्टा सिंह सोगरवार एक सामाजिक कार्यकर्ता थे।
१७. घनश्याम सिंह यह मालवीय राष्ट्रीय संस्थान, जयपुर में सहायक प्रोफेसर हैं।