निर्मला दहिया के अंगदान के निर्णय को लोगों ने सराहा, किया सम्मानित
मेरा मानना है कि इस संसार मे अंगदान और रक्त दान से बढ़ कर कोई भी दान नहीं होता है क्योंकि आज के वैज्ञानिक युग में भी हमारे शरीर के कई अंग जैसे कि लिवर ,गुर्दे , दिल व ओर भी बहुत से महत्वपूर्ण अंग होते है जो आर्टिफिशल बना कर शरीर में प्रत्यारोपित नहीं किये जा सकते है इनको एक इंसान से दूसरे इंसान में ही प्रत्यारोपित किया जा सकता है जब किसी इंसान के शरीर का कोई अंग खराब हो जाता है तो उस का जीवन खतरे में पड़ जाता है। इंसान के म्रत्युउपरांत अंगदान करने से किसी जीवित मरीज की जिंदगी की बुझती हुए लो को दुबारा से नया जीवन मिलता है। जब हमारी मृत्यु हो जाती है तो हमे अग्नि में जला दिया जाता है या दफना दिया जाता है। हमारे शरीर के सभी अंग सुपुर्दे खाक कर दिए जाते है मृत्यु उपरांत वही सुपुर्दे खाक होने वाले हमारे अंग अगर किसी को नया जीवन दे सकते है तो हम कयो ना उन्हें दान करके पुन्य का कार्य करें व अपने शरीर के अंगों को किसी दूसरे इंसान में जीवित रख सकते है ओर उन को हम नया जीवन दान दे सकते है में समझती हूं अगर हमारी वजह से इस संसार म किसी को नया जीवन मिलता ह तो यह संसार का सबसे बड़ा दान होता ह।
निर्मलादहिया ने बताया कि मेरे अंगदान के फैसले की खबर को जब लोगो ने पढ़ा,ओर सुना तो इस से कई बहन भाई और मेरे साथी प्रेरित हुए और उन्होंने भी इस मुहिम में शामिल होने का मन बना लिया हैै में उनकी दिल से सुकर गुजार हुँ तो कोई भी सदस्य,ओर आप सभी भी इस नेक मुहिम का हिस्सा बन कर पुण्य कार्य को कर सकते है।