मोर जाट क्षत्रिय आर्य गोत्र
इतिहास के तथ्यों में इतिहासकारों की दृष्टि में मौर्य राजाओं को जाट के रूप में कोई मान्यता दें या न दें, किन्तु यह इतिहास प्रसिद्ध बात है कि वर्तमान मोर जाटों की निकासी इन्हीं महाभारत काल से पूर्व वर्णित मौर्य क्षत्रिय व आर्य राजवंशों से हुई है। मौड़ा या मौरा पहाड़ (राजस्थान जिला झुन्झुनू में है) जो इन्हीं मोर जाटों के नाम पर है। मोर जाटों के कुछ गांव भी मेवाड़ क्षेत्र में हैं। वर्तमान मोर जाट मोरो रियासत के नाम से मोर कहलाए। इसके अतिरिक्त समुद्रतट मरोही नगर था, उसके निवासी मोर कहलाए और राजा मान मौर्य के नाम से मौर्य गोत्र चला। झुन्झुनू के पास मौरा पर्वत इन्हीं के नाम पर है।
भारत वर्ष में मौर्यो का इतिहास बड़ा उज्ज्वल है। मगध के नन्द वंश को समाप्त करके ईसा से 325 वर्ष पहले चन्द्रगुप्त मौर्य ने भारत में मौर्य सम्राज्य की नींव डाली थी। मौर्य लोग आरंभ में पंचनंद (पंजाब) मे रहते थे। मद्रों की एक शाख पौरुष लोगों की थी। सिकन्दर के साथ जब पौरुष भिड़े तो मौर्य वंश का एक युवक चन्द्रगुप्त सिकन्दर के शिविर में जासूसी के लिए घुस गया था अपनी वाक्पटुता से वह सिकन्दर के पंजे में नहीं फंसा। जब सिकन्दर ने उससे पूछा कि तुम यहां कैसे आये तो उसने कहा मैं आपको मगध पर आक्रमण करने का निमन्त्रण देने आया हूं। सिकन्दर ने उधर जाने में अपनी असमर्थता प्रकट की।
इस गोत्र के सिक्ख जाट पंजाब में भी मिलते हैं। पटियाला में मोखला गांव इसी गोत्र का है। जिला करनाल में मांडी, कुचराणा, सम्भका है। जिला सोनीपत में बरौदा, जिला जीन्द में लुढ़ाना जिला हिसार में बांस। उत्तरप्रदेश जिला आगरा में कचौरा, उन्देरा तथा बिजनौर में शादीपुर गांव मोर जाटों के हैं। कुरूक्षेत्र नीमवला, सेंसर, केलराम(कैथल), सूरता खेड़ा (कैथल) गढ़ी लांगरी(पेहवा), कैलासर (कैथल), सारन सनपु वाला (कैथल)। झज्जर में रेढूसाव और निवारा भिवानी में मदनहेड़ी, हिसार(बास), जीन्द में रामकली, लुदाना, कुचराना, लोचब(कुछ घर), जाजवान, छातर, मांडी, शिमला, नरवाना में मोर पट्टी सिमालपुर, दबलाण, उझाना, मुजादपुर, सिन्धवी खेड़ा(जीन्द) कुछ घर,102 वर्ष पूर्व मोती व शादी दो बुजुर्ग बिरौदा मोर से वहां पहुंचे और गांव को आबाद किया था। चौधरी मोती(मोर) एडवोकेट चौधरी रामफल मोर के पूर्वज थे। मोद खाप ने कुछ प्रस्ताव भी पास किए हैं जो गांव गांव में पहुंचाए गए हैं।
बखेता (रोहतक), सुण्डवान, संगतपुरा में ढांढा व मोर गोत्र के लोग हैं। ढांडा व मोर गोत्र केपूर्वज परस्पर साढू थे । दोनों ने ही यह गांव आबाद किया । मोर पूर्वज गांव से जाजवान से यहं आए थे। झील(जीन्द), पालवा (जीन्द), कैथल में चन्दाना दरवाजा मोर पट्टी है। बिगोवा (भिवानी), धन्नो खेड़ी (लाडवा), मुरादपुर (महेन्द्रगढ़), बिलवा बालावास (रिवाड़ी) आदि 45 गांव जाटों के हैं।
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