संयुक्त परिवार बच्चों की मानसिक मजबूती की कसौटी- अनिल कुमार दलाल
संयुक्त परिवार बच्चों की मानसिक मजबूती की कसौटी- अनिल कुमार दलाल
शिक्षा एक ऐसा ज्ञान है जिसे जितना बांटों उतना ही विकसित होता है। लेकिन जब परिवार के सभी सदस्य शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हो तो उस पर नजर अचानक ठहर ही जाती है। जी हां ऐसा ही एक परिवार है जो शिक्षा की लौ को जलाए, आने वाले भविष्य का निर्माण कर रहा है। नाम है अनिल कुमार दलाल। वे हरियाणा सरकार के एक विद्यालय में प्रिंसीपल है। इनकी पत्नी श्रीमती अंजू चहल भी हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग में अंग्रेजी विषय की लेक्चरार है। हरियाणा सरकार में ही इनके दो छोटे भाईयों की पत्नियां श्रीमती समीक्षा खटकड फिजिक्स की एवं श्रीमती नीलम लठवाल संस्कृत विषय की लेक्चरर हैं। इनका एक भाई सुनील कुमार दलाल यूपी सरकार की सहारनपुर आईटीआई में कार्यरत है। सबसे छोटा भाई नवीन कुमार दलाल 19 मार्च 2013 को हृदयाघात की बीमारी से भगवान को प्यारा हो गया था।
अनिल कुमार दलाल का जन्म 28 अगस्त 1970 को हरियाणा के झज्जर जिले की बहादुरगढ तहसील के छारा गांव में हुआ था।उनके पिताजी चौधरी सूबे सिंह दलाल हरियाणा सरकार के रिटायर्ड सुप्रिटेंडेंट और माताजी श्रीमती मूर्ति देवी हरियाणा सरकार की रिटायर्ड स्कूल टीचर है। घर में शिक्षा का माहौल हमेशा बना रहा जिसके कारण अनिल कुमार दलाल की भी शिक्षा में रूचि शुरू से ही बनी रही । इन्होंने एमए, एमएड की शिक्षा ग्रहण की है। हाल में ये राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय मोरनी हिल्स जिला पंचकूला (हरियाणा) में प्रिंसीपल के पद पर कार्यरत हैं । अनिल कुमार दलाल जी का मानना है कि शिक्षा केवल नौकरी पाने का माध्यम नहीं होनी चाहिए। शिक्षा एक सभ्य नागरिक का निर्माण करती है। जिस राष्ट्र में शिक्षा का स्तर जितना व्यापक होगा वह राष्ट्र उतना ही उन्नत होगा। श्री दलाल का कहना है कि हमें बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए। यदि हमारे संयुक्त परिवार होंगे तो बच्चों में संस्कार खुद ब खुद ही आ जाते हैं। अभी गत 29 जून को ही अनिल कुमार दलाल एवं सारे परिवार ने अपने माता-पिता की 57 वी शादी की सालगिरह मनाई। बुजुर्गों का सम्मान अनिल जी के व्यक्तित्व में भी साफ झलकता है। आज जहां आधुनिक युग में समृद्ध होते ही व्यक्ति एकल परिवार की स्थापना कर लेता है वहीं अनिल जी आज भी 12 सदस्यों के संयुक्त परिवार के रूप में अपने माता पिता की छत्रछाया में पंचकूला के अमरावती एंक्लेव में रहते हैं। परिवार के कुल 12 सदस्य माता -पिता, भाई, बहुएं , 5 बच्चे सभी एक साथ रहते है। दलाल परिवार मे 5 बच्चे है जिसमें बड़ी बेटी आंचल सिंह दलाल बीएससी फाईनल ईयर में है तो बड़ा बेटा अवि सिंह दलाल लॉ की पढाई कर रहा है। तीसरे बच्चे रक्षित सिंह दलाल ने अभी हाल ही में दसवीं कक्षा 90% से ज्यादा अंक लेकर पास की है। वहीं रिया दलाल कक्षा 5 में एवं नव्या दलाल प्रथम कक्षा में पढ़ रही है गौरतलब है कि इस संयुक्त परिवार के बच्चों को इस बात की भी पूरी जानकारी नहीं है कि तुम्हारे माता पिता कौनसे हैं।
अनिल कुमार दलाल ने बताया कि एक अध्यापक होने के नाते हमारा सबसे पहला कर्तव्य बनता है कि हम शुरूआत अपने से करें तभी हम ओरो को सही मार्गदर्शन दे सकते है। समय के साथ साथ परिवार एकल व्यवस्था की ओर बढ गए है लेकिन इसका बच्चों पर क्या असर पड़ता है यह हम समझ नहीं पाते है। एकल परिवार के इस युग में जहां हम अति असंवेदनशील होते जा रहे हैं वही संयुक्त परिवार के बच्चों में संवेदनशीलता बनी ही रहती है। समाज के विकास के लिए संवेदनशील होना अत्यंत आवश्यक है। असंवेदनशीलता से बच्चे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझ पाते। शायद यहीं कारण है कि छोटी छोटी परेशानी होने पर बच्चे तनाव में आकर गलत कदम उठा लेते है। एकल परिवार मे माता पिता के पास बच्चों को देने के लिए समय ही नहीं है जिसके चलते बच्चे अपने मन की बात किसी के साथ शेयर नहीं कर पाते जबकि संयुक्त परिवार में बच्चे आपस में घुल मिलकर रहते हैं और अपने मन की सारी बातें एक दूसरे भाई बहन के साथ शेयर कर लेते हैं । बच्चों को संघर्ष और जीवन का महत्व समझना चाहिए। यह बात संयुक्त परिवार की व्यवस्था में ही बेहतर और व्यवहारिक तौर पर समझी जा सकती है।
डॉ जेपी दलाल शिक्षा जगत का एक अनमोल नगीना
- एक सफल नेतृत्व की दास्तान।
अगस्त 2019 में ट्रांसफर ड्राइव शुरू होती है। सभी प्रधानाचार्य और अध्यापक गण इधर से उधर होते है। मेरा ट्रांसफर भी राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय मोरनी हिल्स पंचकूला मे हुआ और साथ ही एक शानदार व्यक्तित्व के धनी हमारे प्रधानाचार्य श्री अनिल दलाल जी ने स्कूल के प्रधानाचार्य पद को जिसके साथ ही शुरू हुआ शानदार सफर Morni Hills के स्कूल का। विषम परिस्थितियां थी, स्कूल के माहौल के बारे में काफी कुछ सुना हुआ था, बच्चों में पढ़ाई के प्रति बिल्कुल रुचि नहीं थी, शिक्षण का माहौल बहुत ही कम था। एक कुशल सेनापति की तरह कमान संभालते ही प्रधानाचार्य महोदय ने कमियों का अवलोकन किया सशक्त टीम तैयार की। सभी को उनकी क्षमताओं के अनुसार जिम्मेदारियां दी गई। सबसे अहम बात सभी को एहसास करवाया गया कि वह मोरनी परिवार के सदस्य हैं। हमारे प्रधानाचार्य की एक खास बात है कि वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ हर पल हर समय हर घड़ी में खड़े हैं।
समाज के लोगों को स्कूल के साथ जोड़ा गया। सरपंच जी , s.m.c. के सदस्य व अन्य स्थानीय लोगों को विद्यालय के कार्यकलापों में शामिल किया। उनके विश्वास को जीत कर उनको बताया गया कि यह हम सबका विद्यालय है। आपके बिना हम कुछ नहीं हैं।
धीरे धीरे जितनी भी कमियाँ थी उनको दूर करना शुरु किया। बच्चों के हित में जितना भी हो सकता है उससे बढ़कर करने की कोशिश की। बच्चों में शिक्षण के प्रति रुचि पैदा होने लगी।
विद्यालय की होनहार छात्रा कु शिवानी ने 471/500 अंक लेकर 94.2% के साथ पूरे ब्लॉक में प्रथम स्थान प्राप्त किया। विद्यालय का परिणाम भी बहुत ही अच्छा रहा है। मोरनी जैसे दुर्गम एरिया में जिसमें बच्चे 15 कि.मी. तक का सफर तय करके आते हैं। 2 घंटे पैदल चलकर विद्यालय पहुँचकर शिक्षा ग्रहण करना , एक बार सोच कर देंखे कितनी विकट परिस्थितियाँ हैं, इन सब के बाद 6 बच्चों ने 80% से ज्यादा Marks हासिल किए।
ये सब संभव हुआ एक कुशल नेतृत्व की वजह से।
सैल्यूट है टीम मोरनी व सेनापति श्री अनिल कुमार दलाल जी को।
हमारे विधालय के गणित का परिणाम भी 96.42% रहा है। बहुत खुशी होती है जब आपकी मेहनत का फल ऐसा हो।।
Jogender Singh
Math Lecturer
GSSS Morni Hills Panchkula