आज भी हमारे दिलों में जिंदा है महाराजा सूरजमल
नई दिल्ली। अंग्रेज 13 बार आक्रमण करने के बावजूद भी महाराजा सूरजमल द्वारा बनवाया गया किला भेद नहीं सके महाराजा सूरजमल को बलिदान दिवस पर किया (बहरोड गजेंद्र चौधरी) भरतपुर के संस्थापक वीर पराक्रमी महायोद्दा महाराजा सूरजमल का 256 वा बलिदान दिवस बुधवार को शौर्य दिवस के रूप में अलवर जिले के मुंडावर उपखंड क्षेत्र के ग्राम राजवाड़ा की चौपाल पर सर्वसमाज की और से ग्राम पंचायत राजवाड़ा के पूर्व सरपंच मोहरसिंह चौधरी की अध्यक्षता में मनाया गया । बलिदान दिवस कार्यक्रम की शुरूआत में महाराजा सूरजमल के फोटो चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित कर 2 मिनट का मौन रख याद किया ।कार्यक्रम में महाराजा सूरजमल फाउंडेशन राजस्थान प्रदेश सचिव सुन्दरलाल चौधरी ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा की महाराजा सूरजमल ने अपने जीवनकाल में किसी को भी सहायता करने में निराश नहीं किया ।उन्होंने अपने दुश्मन की भी संकट में मदद की ।वे ऐसे यौद्धा थे जिन्होंने आमने सामने की लडाई में कभी शिकस्त नहीं खाई। लेकिन 25 दिसम्बर 1763 को दिल्ली के निकट सेना के निरीक्षण के लिए निकले महाराजा सूरजमल पर शियद्ध ओर उनके दल ने घात लगाकर हमला किया । इससे महाराजा सूरजमल वीर गति को प्राप्त हो गये । इसलिए इस दिन को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है । वे हिन्दूस्तान के प्रथम राजा थे जिन्होंने अपना खजांची दलित को रखा अपने जीवनकाल में एक भी युद्ध नहीं हारे उनके जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए उन दिनों उनके क्षेत्र में भरतपुर के अतिरिक्त आगरा, धौलपुर, मैनपुरी, हाथरस, अलीगढ़, इटावा, मेरठ, रोहतक, मेवात, रेवाड़ी, गुड़गांव और मथुरा सम्मिलित थे। महाराजा सूरजमल किसी एक जाति,समाज या क्षेत्र के महाराजा नहीं थे अपितु उनके उद्दार ह्रदय एवं वीरता ने जन – जन का नायक बनाया उन्होंने अभेद लोहागढ किले का निर्माण करवाया था जिसे अंग्रेज 13 बार आक्रमण करके भी भेद नहीं पाये मिट्टी से बने इस किले की दीवारें इतनी मोटी बनाई गयी थी कि तोप के मोटे – मोटे गोले भी इन्हें कभी पार नहीं कर पाए यह देश का एक मात्र किला है जो हमेशा अभेद रहा। उनकी सेना में 15 हजार घुडसवार 25 हजार पैदल,60 हाथी तथा 300 प्रकार की तोपे थी ।इस मौके पर महाराजा सूरजमल फाउंडेशन राजस्थान प्रदेश सचिव सुंदरलाल चौधरी, समाजसेवी नरेश चौधरी,भाजपा युवा नेता गोवर्धन चौधरी,जलेसिंह अध्यापक,किरोड़ी सेठ,हंसराज सैन,रतनलाल रेवाड़ीया,ओमप्रकाश जाट,मुन्ना सैन,अखिलेश सेन,किरोड़ी महाशय,योगेश फौजी,मनीष चौधरी,देवीलाल प्रजापत,राजेंद्र, निरंजन,बलवीर,अशोक,मोहित, गजेंद्र चौधरी जसाई , किशोर नेताजी, बबलू ,विक्की चौधरी जसाई, संजय चौधरी, दीपक चौधरी जसाई सहित अन्य ग्रामीण उपस्थित रहे।