मलिक जाट गोत्र malik jat goutra
मलिक जाट एक प्रमुख जाट गोत्र के रूप में जाना जाता है। भाषा भेद के कारण इसे मलक, मालक के नाम से भी जाना जाता है जबकि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली में इस गोत्र की बहुत बडी आबादी रहती है।
शुरू शुरू में इस गोत्र के लोगों को गठवाला के नाम से जाना जाता था क्योंकि यह कोई एक गोत्र नहीं बल्कि कई संगठनों के लोगों का एक जोड़ था इसलिए इसे गठवाला के नाम से पुकारा जाता था। जानकारी के अनुसार इसमें बांगर, भिड़ी, ढाढल, जदिया, कुंवर, लाल मलिक, संगड्, सोमवाल और तिवाना गोत्र के लोग रहते थे। इनकी बहादूरी के कारण इन्हें मलिक की उपाधी दी गई। जिसके बाद इन्हें गठवाल मलिक कहा जाने लगा। लेकिन इतिहास में लल्ल ऋषि नाम का एक प्रसिद्ध व्यक्ति हुआ जिसने इन्हें एक साथ संगठित करने और आगे बढने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उसके योगदान का महत्व इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उसका नाम भी गठवाल मलिक के आगे जोड दिया गया जिसके कारण इन्हें कहा जाने लगा लल्ल गठवाला मलिक।
जानकारी के अनुसार इस गोत्र के लोग महाभारतकाल में काफी शक्तिशाली माने जाते थे। काव्यमीमांसा आदि गं्रथों में भी तुषारगिरि नामक एक पर्वत का वर्णन मिलता है जो कि शायद इन्हीं के नाम पर रखा गया होगा। बाद में यह पर्वत हिन्दूकुश के नाम से प्रसिद्ध हुआ। महाभारत में तुषार सेना कौरवों की और से युद्ध में भाग लिया था।
उसके बाद इनकी प्रमुख रूप से चर्चा तब सामने आती है जब चीनी राजा ने हुणों से युद्ध करने के लिए इनके पास प्रस्ताव भेजा। यह उस समय की बात है जब चीनी दिवार का निर्माण किया गया था ताकि हुणों के आक्रमण से चीन की रक्षा की जा सकें। चीन का प्रथम राजदूत चांगकिएन संदेश तुषारों के पास गया लेकिन रास्ते में ही हूणों ने उसे पकड कर जेल में डाल दिया लेकिन सौभाग्यवश वह 10 साल बाद हूणों की कैद से छुट कर तुषार जाटों के पास पहुंचा तो सूचना मिलते ही ऋषिक तुषारों ने हूणों पर प्रबल आक्रमण शुरू कर दिए जिसके बाद 1२७ से ११९ तक के मध्य हूणों को परास्त मंगोलिया भगा दिया गया। यह वहीं अवसर पर जब चीन और भारत की पहली बात मैत्री हुई।
अब हम अगर बात करें कि गठवाल के आगे लल्ल कैसे लगा तो इतिहास से पता चलता है कि ऋषि वंश में महात्मा लल्ल ने जन्म लिया । कहते है यह ऋषि बहुत विद्वान, शूरवीर और एक महान सन्त था। इस ऋषि की बौद्ध धर्म में आस्था थी। इतिहास में 120 से 162 ईश्वी में सम्राट कनिष्क ने राज्य किया। इनके राज्य में उत्तर प्रदेश, पंजाब, सिन्ध , कश्मीर, अफगानिस्तान , खेतान, हरात , यारकन्द और बल्ख आदि शामिल होते थे। राजा ने बौद्धों की चौथी सभा का आयोजन कश्मीर में कुण्डल वन के स्थान पर किया। कहते है यह आयोजन इतना बड़ा था कि देश और विदेशों से भी लगभग 500 बौद्ध साधुओं और अन्य लोगों ने भी बड़ी संख्य में भाग लिया। इस सम्मेलन की सभापति विश्वमित्र तथा उपसभापति अश्वघोष साधु को बनाया गया।
महात्मा लल्ल ने भी इस सम्मेलन में भाग लिया और धर्मसेवा की। इसी मौके पर उन्हें संगठितवाला साधु की उपाधि दी गई। महाराज कनिष्क ने महात्मा लल्ल के नेतृत्व में लल्ल गठवाला संघ को गजानन्दी का राज्य सौंप दिया। जब तक मुसलमानों ने आक्रमण नहीं किया यहां पर केवल लल्ल गठवालों का ही शासन विराजमान रहा। अफगानिस्तान के इस क्षेत्र पर ही सबसे पहले लल्ल राज्य की स्थापना हुई।
अब अगर हम मलिक शब्द पर चर्चा करे तो पता चलता है कि मलिक एक तुर्की भाषा का शब्द है जो राजा के लिए पर्यायवाची के रूप में प्रयोग किया जाता है। जबकि हिन्दी में शासक को राजा कहा जाता है।
हिन्दुस्तान में इस शब्द का प्रचलन तब हुआ जब तुर्क लोगों ने भारत में आगमन किया। कुतुबुद्दीन ऐबक मामलुक वंश का था जो सुलतान मुहम्मद गौरी का सेनाध्यक्ष था। इसके साथ ईस्वी सन 1192 में तरावडी के दूसरे युद्ध में अनेक तुर्क अधिकारी भी आए और अपने साथ राजा का पर्यायवाची शब्द मलिक भी लेकर आए। इस शब्द का प्रचलन इतना बढ गया कि राजा के रूप में मलिक ही शब्द का प्रयोग होने लगा। लेकिन जब खिलजीकाल प्रारंभ हुआ तो उस समय राजा को सुलतान कहना शुरू कर दिया गया जबकि राजा के सेनाध्यक्ष को मलिक के रूप में पुकारा जाने लगा। अब मलिक एक सैनिक पद बन गया था।
लेकिन बदलते समय के साथ भारत में मुगलकाल शुरू हुआ तो अकबर ने सेना में मनसबदारी सिस्टम लागू कर दिया तो मलिक शब्द सैनिक पद ना होकर केवल समाज के प्रमुख लोगों के लिए प्रयुक्त किया जाने लगा। यह शब्द एक उपाधि का सूचक होकर रह गया।
अगर हम ऐतिहासिक रूप से देखे तो मलिक के तौर पर पहला व्यक्ति हांसी का राजा रायसाल प्रथम हुआ है। उसे ही यह उपाधि सन 1192 ईश्वी में सुलतान मुहम्मद गौरी के द्वारा प्रदान की गई थी। सम्मान के तौर पर उसे जेहलम के पास लवण मेखला की जागीर दी गई। तरावडी के दूसरे युद्ध के बाद पृथ्वी राज चौहान के साथ के साथ अनेक युद्ध बंदी बनाए गए थे जिनका कालान्तर में एक समझौता हुआ और पृथ्वीराज को दिल्ली छीनकर अजमेर का राज दिया गया। जिस पर पृथ्वीराज के छोटे भाई चाहरदेव के लडके विजयराज को अजमेर की राज गद्दी मिली जो सरदार मुहम्मद गौरी का अधीन राजा हुआ। इस समझौते के तहत रायसाल को मलिक की उपाधि दी गई और लवणमेखला की जागीर भी दी। रायसाल के पास दो जागीरें हो गई। पहली जागीर हांसी के पास देपालपुर की जिसे रायसाल मलिक ने अपने बडे पुत्र युवराज जीवनसाल को सौंप दिया और स्वयं लवण मेखला चला गया जहां उसने अपनी राजधानी के रूप में मलिकपुर नगर बसाया।
मलिक गोत्र की एक विशेषता यह है कि इस गोत्र के लोग अपने सबसे बड़े व्यक्ति को पगड़ी बांधकर दादा की पदवी प्रदान करते है। गोत्र संबंधी प्रत्येक पंचायत इसी दादा की अध्यक्षता में की जाती है। हरियाणा में भी आहुलाना में एक परिवार को दादा की पदवी दी गई है। एक की मृत्यु होने पर उसके बडे बेटे को दादा की पदवी दे द जाती है।
ऋषिक तुषारवंश के शाखा गोत्र भी है जिसमें गठवाला मलिक, सोमवाल और जडिया का नाम लिया जाता है।
मलिक जाटों के गांव
दिल्ली में कटवारिया सराय, मसूद पुर गांव
हरियाणा के हिसार में खरकरी, उमरा हांसी, सुल्तानपुर गांव।
पानीपत में बुआना लाखु, जटोल पानीपत, कुटनाई , महराणा, नांगल खेरी, निम्ब्री, पथरी, कुटानी सिक्ख, राजा खेरी, रिसालू, सीनक, उगाहेरी गांव के नाम आते है।
भिवानी में कनक गांव
जींद में बार्टा, बुढा खेरा, जे जयवंती, निडाना, निरजन, शामलो, गतौली पौली, पिंडारा, संडेल और हसनपुर
कैथल में बलभेरा जखोली, खुराना
करनाल में गढी सदन, झांझारी, उमरपुर, गोगीपुर, मानपुर, मोरमाजरा
सोनीपत जिले में अहुलाना, अंवाली, भैंसवाल कलां, भटाना जाफराबाद, बिधल, भिगान, बिलबिलन, छीछराना सोनीपत, डबरपुर, डोडवाह, ईसापुर खीरी, गामरी, जसराना, कसांधा, खानपुर कलां, कुटनी, मदीना सोनीपत, महमूदपुर, । खेरी, नायत / निअत (नियाटिक), पिनाना, पिपलिखेरा, पोगथला, पूथी, राबड़ा, रिवाड़ा, रूखी, सलारपुर माजरा, सरखथला, सरधना, सरसा, तीरा, तिहारा कलां, तिहारा खुर्द, तुरली, पुगथला
हिसार जिले में राखी खस रामायण गाँव , धंधरी (दंढेरी), देपाल देपल, उमरा , सुल्तानपुर , कंवारी , मुज़ादपुर – सतबस, परभूवाला, सतबरोड ,
झज्जर जिले में दाबोदा खुर्द, मेहराना
महेंद्रगढ़ जिले में दलानवास
रोहतक जिले में एटल, गांधार, घुस्कनी, करोर, खरवद, मोखरा,
कुरुक्षेत्र जिले में मेहरा, सरसा,
यमुनानगर जिले में अजीजपुर, छप्पर मंसूरपुर, मलकपुर बांगर,
फरीदाबाद जिले में जवां गांव, जवान गांव
बहादुरगढ में दबोड़ा खुर्द गांव
चरखी दादरी में नौरंगा बास जट्टन गांव
यूपी में
मुजफ्फरनगर जिले में आदमपुर, बादई कलां, बराला जाट, चंदनहेड़ी, चुनसा, डोगर मुजफ्फरनगर, फुगाना, गोहरपुर, गोयला, हसनपुर हिसवाड़ा, जगहेड़ी, झाल, कादी डेरा, कवाल, कब्रुत कजीखेरा, करौदा हाथी, करौदा महाजन, खरारी, खैरी, खोई , किवाना, कुदना, कुल्हड़ी, कुरावा, कुरमाली, लाख, लिशाद, महमदपुर कुरावन, मख्लूमपुर, मलिकपुर, मोगपुर, मोहम्मदपुर,
मोहम्मदपुर रायपुर, मुजफ्फरनगर नीमपुर, पट्टी माजऱा, पिना, सागड़ी, सल्फा, सनावली, शोनावाली, शोनाली, , सोझनी उमरपुर, सुन्ना, खेरा गदाई, भूटराडी
मेरठ जिले में
अटलपुर, भदौरा, राहवती, पसवारा, डबका, नंगला ताशी
शामली जिले में
बरला, फुगाना, खरड़ , सरनावाली, सोहजनी उमरपुर उस्मानपुर,
बागपत जिले में पुरा महादेव, हिसावदा, चंदन हेरि, सिलाना
बुलंदशहर जिले में सालाबाद धामैरा (सलाबाद धामड़ा) पापारी,
बिजनौर जिले में नेहतौर, गाजीपुर बिजनौर (गाजीपुर), सुंदरपुर , रावणपुर , ढोकलपुर (धौलपुर), मीरापुर (मीरपुर), रनेठी
सहारनपुर जिले में फेरू माजरा, फतेहपुर कलां
बरेली जिले में दौलतपुर बरेली, साल्था, टांडा बरेली, तिलमंची,
रामपुर में गाँव
खंडी खेरा (9),
गाजियाबाद में गाँव
जलालाबाद गाजियाबाद,
राजस्थान में वितरण
जयपुर शहर में आदर्श नगर, गणेश कॉलोनी (खातीपुरा), जवाहर नगर, महावीर नगर , मानसरोवर कॉलोनी, सांगानेर, वैशाली नगर, वसुंधरा कॉलोनी, मुंदल और दिघल बेरी
अलवर जिले में भी काफी संख्या में मलिक जाट मिलते है। ,
हनुमानगढ़ जिले में भरवाना, संगरिया, सरदारगढिय़ा,
चूरू जिले में बांगरवा चूरू,
मध्य प्रदेश में वितरण
रतलाम जिले में
रतलाम 4,
ग्वालियर जिले में गाँव
ग्वालियर, लश्कर , मोरार ,
शिवपुरी जिले में शिवपुरी गांव
पंजाब में वितरण
फिरोजपुर जिले में गाँव
शेरवाला (अबोहर),
लुधियाना जिले में
मलक पंजाब के लुधियाना जिले के जगराओं तहसील का गाँव है।
उत्तराखंड में वितरण
हरिद्वार में थिथिकी कवादपुर (ठिठिकी क़स्मपुर)
बिहार में भी सुपौल जिले में कमालपुर मलिक जाटों का गांव है।
पाकिस्तान में वितरण
मलिक – मलिक एक मुल्ला जाट वंश हैं, और इन्हें घाटवाला के नाम से भी जाना जाता है।
मलिक गोत्र के उल्लेखनीय लोग
रोहित मलिक – अधिवक्ता, दिल्ली उच्च न्यायालय
अभिजीत मलिक – बास्केटबॉल खिलाड़ी
अजय मलिक – मॉडल।
अजय मलिक- आईआरएस – 2002, कमिश्नर आईटी, जयपुर, आरूषि चौधरी के पति, डीएम अजमेर
अमित मलिक –
अनिल मलिक –
अरुशी अजय मलिक –
भक्त फूल सिंह (मलिक) – संस्थापक खानपुर गुरुकुल उर्फ बीपीएस महिला यूनिवर्सिटी गोहाना- सोनीपत।
धर्मबीर सिंह मलिक – सोनीपत जिले के बिधल गाँव के एक स्वतंत्रता सेनानी थे।
दरियाओ सिंह मलिक –
हरेंद्र सिंह मलिक – सांसद और विधायक।
धर्मपाल सिंह मलिक – हरियाणा के एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, जिन्होंने भारत के उप प्रधान मंत्री चौधरी देवी लाल को हराया और वे भारतीय फिल्म अभिनेता विशाल मलिक के पिता भी हैं
धर्मवीर मलिक – शिक्षाविद
धन सिंह मलिक – नरवाना
प्रीति मलिक –
दीपा मलिक – एशियन पैरा गेम्स, केवल एथलीट जिसने आईपीसी एथलेटिक्स विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। तीन बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया।
घासी राम मलिक –
जी एस मलिक – आईपीएस गुजरात।
गिरधर सिंह मलिक – गठवाला खाप के नेता।
हरविंदर मलिक – ललित कला, टेलीविजन और सिनेमा के क्षेत्र में विशेषज्ञता के साथ एक बहु प्रतिभाशाली कलाकार।
एच एस मलिक – एफएसओ यूपी
एच एस मलिक – आईएएस हरियाणा।
जगमती मलिक – महिला सशक्तिकरण के लिए माता जीजाबाई श्रम शक्ति पुरस्कार।
जगबीर सिंह मलिक – पूर्व मंत्री, हरियाणा, और गोहाना निर्वाचन क्षेत्र से विधायक।
जितेंद्र मलिक – हरियाणा -2009, सोनीपत से सांसद।
कुलबीर सिंह मलिक – पूर्व स्पीकर विधानसभा हरियाणा और हरियाणा के जींद जिले में जुलाना निर्वाचन क्षेत्र से दो बार विधायक।
डॉ कुंवर पी सिंह – वैज्ञानिक और पर्यावरण रसायन विज्ञान प्रभाग के प्रमुख, औद्योगिक विष विज्ञान अनुसंधान केंद्र , लखनऊ।
केशव मलिक पद्म श्री –
स्वर्गीय मुख्तियार सिंह मलिक (1913- 2008) – सांसद, विधायक
महेन्द्र सिंह मलिक –
मेघना मलिक – अभिनेत्री।
मीमांसा मलिक – एंकर,
एम आर मलिक – आईपीएस गुडग़ांव।
नाइक भीम सिंह मलिक – सेना पदक।
जनरल एन.एस. मलिक – मुजफ़्फरनगर जिला।
पी.के. मलिक – आईएफएस, उड़ीसा,
प्रभात मलिक –
राघविंदर मलिक – अभिनेता / कलाकार।
रणधीर सिंह मलिक –
राम निवास मलिक – पानीपत बॉडी बिल्डिंग से मिस्टर नॉर्थ इंडिया बने
राहुल मलिक – एनएसयूआई जिला अध्यक्ष।
राहुल मलिक – आईपीएस, राजस्थान
राहुल मलिक – आईपीएस 2009 बैच, एसपी कारगिल, जेएंडके कैडर
राजिंदर सिंह मलिक – हरियाणा सरकार में मंत्री
सभा कौर – मलिक जाटों की बेटी और अहलावत की बहू, जिन्होंने कलानौर के नवाबों की अमानवीय परंपराओं का विरोध किया।
साक्षी मलिक – रियो ओलंपिक (अगस्त 2016) में 58-केजी भार महिला कुश्ती चैम्पियनशिप के लिए कांस्य पदक के विजेता।
सत्य पाल मलिक – जम्मू कश्मीर के राज्यपाल
सरभि मलिक –
सज्जन सिंह मलिक – कीर्ति चक्र (मरणोपरांत),
शशि मलिक –
सुरभि मलिक
सुरेन्द्र मलिक- आईआरएस 2010 बैच, वर्तमान में कुरुक्षेत्र से दिल्ली सेंट्रल एक्साइज 1 में तैनात हैं
सोहन लाल मलिक- न्यायाधीश असंध,
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